कुछ न कुछ हमने तिरा क़र्ज़ उतारा ही न हो
क्या ख़बर, कूचा-ए-दिलदार से प्यारा ही न हो
चौंक उठता हूँ कहीं तूने पुकारा ही न हो
सोचता हूँ तिरे आँचल का किनारा ही न हो
दर्द वो दे जो किसी तरह गवारा ही न हो
न मिले भीख तो लाखों का गुज़ारा ही न हो
जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अंबर के आंगन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फ़िर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में वह था एक कुसुम
थे उस पर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुबन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ
जो मुरझाईं फ़िर कहाँ खिलीं
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुबन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आंगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठते हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई
मृदु मिट्टी के बने हुए हैं
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन ले कर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फ़िर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं,मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई
बहते अश्को की ज़ुबान नही होती,
लफ़्ज़ों मे मोहब्बत बयां नही होती,
मिले जो प्यार तो कदर करना,
किस्मत हर कीसी पर मेहरबां नही होती.
अपने दिल को पत्थर का बना कर रखना,
हर चोट के निशान को सजा कर रखना।
उड़ना हवा में खुल कर लेकिन,
अपने कदमों को ज़मी से मिला कर रखना ।
छाव में माना सुकून मिलता है बहुत
फिर भी धूप में खुद को जला कर रखना।
उम्रभर साथ तो रिश्ते नहीं रहते हैं,
यादों में हर किसी को जिन्दा रखना।
वक्त के साथ चलते-चलते , खो ना जाना,
खुद को दुनिया से छिपा कर रखना।
रातभर जाग कर रोना चाहो जो कभी,
अपने चेहरे को दोस्तों से छिपा कर रखना।
तुफानो को कब तक रोक सकोगे तुम,
कश्ती और मांझी का याद पता रखना।
हर कहीं जिन्दगी एक सी ही होती हैं ,
अपने ज़ख्मों को अपनो को बता कर रखना ।
मन्दिरो में ही मिलते हो भगवान जरुरी नहीं ,
हर किसी से रिश्ता बना कर रखना ।
मरना जीना बस में कहाँ है अपने,
हर पल में जिन्दगी का लुफ्त उठाये रखना ।
दर्द कभी आखरी नहीं होता ,
अपनी आँखों में अश्को को बचा कर रखना ।
सूरज तो रोज ही आता है मगर ,
अपने दिलो में ' दीप ' को जला कर रखना ।
ये नजरें जहाँ तक मुझको ले जांयें ,
हर तरफ बसी क्यों है सूनी सी तन्हाई
इस दिल की अगन पहले क्या कम थी ,
मेरे साथ सुलगने लगती क्यों है तन्हाई
आंसू जो छुपाने लगता हूँ सबसे ,
बेबाक हो रो देती क्यों है तन्हाई
तुझे दिल से भुलाना चाहता हूँ ,
यादों के भंवर मे उलझा देती क्यों है तन्हाई
एक पल चैन से सोंना चाहता हूँ ,
मेरी आँखों मे जगने लगती क्यों है तन्हाई
तन्हाई से दूर नही अब रह सकता,
मेरी सांसों मे, इन आहों मे,
मेरी रातों मे, हर बातों मे,
मेरी आखों मे, इन ख्वाबों मे,
कुछ अपनों मे, कुछ सपनो मे ,
मुझे अपनी सी लगती क्यों है तन्हाई ????