पास है मेरे, फिर भी मुझसे दूर जाने की दुहाई मांगती है,
हर एक पल मुझे याद करती है,
फिर भी मेरी यादों में, मुझसे रिहाई मांगती है,
देती है दुहाई अपने रस्मो रिवाजों की,
तोड़ से सारे रस्मो रिवाज़, सिमट जाना चाहती है मेरी बांहों में,
और फिर मुझसे मेरे रिवाजों की दुहाई मांगती है,
रोज आती है ख्वाबों में मेरे, बुलाती है अपने ख्वाबो में,
मेरी बाहों में पनाह ले के, मेरी बाहों से रिहाई मांगती है,
वो दूर है मुझसे, और बेताब है, मेरी बाहों में आने को ,
फिर भी सारी दुनिया से रुसवाई मांगती है.
आज मेरी जान मुझसे जुदाई मांगती है.
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