February 7, 2012

Hum hai maha thag, ab maut hai ye jaani...

Ek din darwaje par

ek khoobsurat mahila ko dekh

matha thanaka,

poochha kaun ho?

Vo
Boli, main maut hun,

man kiya jor ka thahaka lagaun,
par thoda sakucha kar,
gambheer hokar bola,
chal
hat pagali,
jhoot bolati hai?

Kabhee maut bata kar thhode hi aati hai?

Vo to maha-thagini hai,

bus chupake se aati hai,

aur praan le jati hai.

Vo boli, re moorkh,

mujhe kya kabhee kisi ne dekha hai?

Main to bus Usi ke samane aati hun,
jise le jana ho,

aur ab to tujhe chalana hi hoga,

main khud jo chal kar aayi hun.

Main bolaa.....

Are moorkh to tu hai,
Main to ek kinchan sa bharatiya hun,

jahan sarkaar hai ghooskhoron ki,

khane ko daane nahee hain ghar mein,

fir bhee tax ke 20000 Rs. bharata hun,

apne bachcho aur patni ko bhookha hi sula deta hun

main to pahale se hi mara hua hun,

ab kya mere shav ko le jaane aayi hai?

Bechari maut,
ho gayi nishabd,
kya kahati ab?
Use bhee is baat ka ahasaas ho gaya,
ke shav ko main kaise le jaung?

Ab vo kahaan janati thi,

ke

vo hai maha-thagini,

par, hum bhee kam chalak nahee,

sarkar ke maare huye hain,

fir bhee jaise taise apne aap ko jivit rakkhe hain,

ye kya thagi se kam hai?

Hum hai maha thag,

ab maut hai ye jaani....

February 1, 2012

दिल के ये हालात आज संवर जाये तो अच्छा है...

दिल के ये हालात आज संवर जाये तो अच्छा है,
चोट खाये हुये मेरे ज़ज़्बात आज संवर जाये तो अच्छा है,

कसमों और वादों में बिखरी हुई है ज़िंदगी मेरी,
यहीं कसमों वादो को निभाया जाये तो अच्छा है,

दुनिया के दिये जख्मों से जी भर गय है दोस्तों,
अब कोई और ही वार किया जाये तो अच्छा है.

ये जहर का घूंट तो हमने पी लिया,
अब तो दर्द-ए-दिल ही दिया जाये तो अच्छा है.

::शेफ़ाली शर्मा द्वारा प्रस्तुत::

January 31, 2012

खाक में जो मिल जाये वो मोहब्बत नही है...

खाक में जो मिल जाये वो मोहब्बत नही है,
वो इन्सान ही क्या जिसमें इन्सानियत नही है,
तुम्हारी किस्मत तो देखो कैसी है,
वो जला डाला है तुमने वो मेरा नशेमन नही है,

जिस रास्ते पर चल पड़े हो,
ठहर जाओ वहीं पर,
पांव रखा है जहां तुमने वो मेरी राह नही है,


::शेफ़ाली शर्मा के सहयोग से::

January 30, 2012

Mera doodh mujhe bacha lega

Garam tave par roti sekate huye aaj, haath jala leti hun,
kal ko mera beta mujhe maraham laga dega...

Is nikrasht samaj ke garam thapede jab mereee chhati par padenge,
to meri chhati ke doodh ko mera beta bacha lega.

Mujh par jub us soodkhor ki ghinoni aankhe ghoorati hai to,
ye sochkar mere doodh ko chhupa leti hun,
kal ko mera doodh hi us nikrasth baniye ki aankhe nikal lega.

August 27, 2010

खुशबू जैसे लोग मिले अफ़साने में

खुशबू जैसे लोग मिले अफ़साने में
एक पुराना खत खोला अनजाने में

जाना किसका ज़िक्र है इस अफ़साने में
दर्द मज़े लेता है जो दुहराने में

शाम के साये बालिस्तों से नापे हैं
चाँद ने कितनी देर लगा दी आने में

रात गुज़रते शायद थोड़ा वक्त लगे
ज़रा सी धूप दे उन्हें मेरे पैमाने में

दिल पर दस्तक देने ये कौन आया है
किसकी आहट सुनता है वीराने मे ।

August 20, 2010

ज़रा चेहरे से कमली

ज़रा चेहरे से कमली को हटा दो या रसूल-अल्लाह,
हमें भी अपना दीवाना बना दो या रसूल-अल्लाह,

मोहब्बत ग़ैर से मेरी छुड़ा दो या रसूल-अल्लाह,
मेरी सोई हुई क़िस्मत जगा दो या रसूल-अल्लाह,

बड़ी क़िस्मत हमारी है के उम्मत में तुम्हारी हैं,
भरोसा दीन-ओ-दुनिया में तुम्हारा या रसूल-अल्लाह,

अंधेरी कब्र में मुझको अकेला छोड़ जायेंगे,
वहां हो फ़ज़ल से तेरे उजाला या रसूल-अल्लाह,

ख़ुदा मुझको मदीने पे जो पहुँचाये तो बेहतर है,
के रोज़े पर ही दे दूंजां उजाकर या रसूल-अल्लाह,

August 6, 2010

अब कौन से मौसम से कोई आस लगाए

अब कौन से मौसम से कोई आस लगाए
बरसात में भी याद जब न उनको हम आए

मिटटी की महक साँस की ख़ुश्बू में उतर कर
भीगे हुए सब्जे की तराई में बुलाए

दरिया की तरह मौज में आई हुई बरखा
ज़रदाई हुई रुत को हरा रंग पिलाए

बूँदों की छमाछम से बदन काँप रहा है
और मस्त हवा रक़्स की लय तेज़ कर जाए

शाखें हैं तो वो रक़्स में, पत्ते हैं तो रम में
पानी का नशा है कि दरख्तों को चढ़ जाए

हर लहर के पावों से लिपटने लगे घूँघरू
बारिश की हँसी ताल पे पाज़ेब जो छंकाए

अंगूर की बेलों पे उतर आए सितारे
रुकती हुई बारिश ने भी क्या रंग दिखाए

August 2, 2010

उसे हमने बहुत ढूँढा न पाया

उसे हमने बहुत ढूँढा न पाया
अगर पाया तो खोज अपना न पाया

जिस इन्साँ को सगे-दुनिया[1] न पाया
फ़रिश्ता उसका हमपाया[2] न पाया

मुक़द्दर[3] से ही गर सूदो-ज़ियाँ[4] है
तो हमने याँ न कुछ खोया न पाया

अहाते से फ़लक़[5] के हम तो कब के
निकल जाते मगर रस्ता न पाया

जहाँ देखा किसी के साथ देखा
कहीं हमने तुझे तन्हा न पाया

किया हमने सलामे- इश्क़ तुझको!
कि अपना हौसला इतना न पाया

न मारा तूने पूरा हाथ क़ातिल!
सितम में भी तुझे पूरा न पाया

लहद[6]में भी तेरे मुज़तर[7] ने आराम
ख़ुदा जाने कि पाया या न पाया

कहे क्या हाय ज़ख़्मे-दिल हमारा
ज़ेहन पाया लबे-गोया [8] न पाया

शब्दार्थ:
  1. सांसारिक कुत्ता,व्यसन-लिप्त
  2. बराबर का
  3. भाग्य
  4. लाभ-हानि
  5. क्षितिज
  6. कब्र
  7. प्रेम-रोगी
  8. वाक-शक्ति

तेरा बीमार न सँभला जो सँभाला लेकर

तेरा बीमार न सँभला जो सँभाला लेकर
चुपके ही बैठे रहे दम को मसीहा[1] लेकर

शर्ते-हिम्मत नहीं मुज़रिम हो गिरफ्तारे-अज़ाब[2]
तूने क्या छोड़ा अगर छोड़ेगा बदला लेकर

मुझसा मुश्ताक़े-जमाल[3] एक न पाओगे कहीं
गर्चे ढूँढ़ोगे चिराग़े-रुखे-ज़ेबा[4] लेकर

तेरे क़दमों में ही रह जायेंगे, जायेंगे कहाँ
दश्त[5] में मेरे क़दम आबलाए-पा लेकर

वाँ से याँ आये थे ऐ 'ज़ौक़' तो क्या लाये थे
याँ से तो जायेंगे हम लाख तमन्ना लेकर

शब्दार्थ:
  1. ईसा
  2. कष्टों में फँसा
  3. सौंदर्य प्रेमी
  4. ख़ूबसूरत रोशनी वाला दीप
  5. जंगल

August 1, 2010

अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जायेंगे

अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जायेंगे
मर गये पर न लगा जी तो किधर जायेंगे

सामने-चश्मे-गुहरबार[1] के, कह दो, दरिया
चढ़ के अगर आये तो नज़रों से उतर जायेंगे

ख़ाली ऐ चारागरों[2] होंगे बहुत मरहमदान
पर मेरे ज़ख्म नहीं ऐसे कि भर जायेंगे

पहुँचेंगे रहगुज़र-ए-यार तलक हम क्योंकर
पहले जब तक न दो-आलम[3] से गुज़र जायेंगे

आग दोजख़ की भी हो आयेगी पानी-पानी
जब ये आसी[4] अरक़-ए-शर्म[5] से तर जायेंगे

हम नहीं वह जो करें ख़ून का दावा तुझपर
बल्कि पूछेगा ख़ुदा भी तो मुकर जायेंगे

रुख़े-रौशन से नक़ाब अपने उलट देखो तुम
मेहरो-मह[6] नज़रों से यारों के उतर जायेंगे

'ज़ौक़' जो मदरसे के बिगड़े हुए हैं मुल्ला
उनको मैख़ाने में ले लाओ, सँवर जायेंगे

शब्दार्थ:
  1. मोती के समान आँसू बहाने वाली आँखें
  2. चिकित्सकों
  3. लोक-परलोक
  4. पाप करने वाला
  5. शर्म का पसीना
  6. सूरज और चन्द्रमा