August 29, 2009

जब इश्क तुम्हें हो जायेगा


मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा
दीवारों से टकराओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा

हर बात गवारा कर लोगे मन्नत भी उतारा कर लोगे
ताबीजें भी बंधवाओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा

तन्हाई के झूले झूलोगे, हर बात पुरानी भूलोगे
आईने से घबराओगे, जब इश्क तुम्हें हो जायेगा

जब सूरज भी खो जायेगा और चाँद कहीं सो जायेगा
तुम भी घर देर से आओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा

बेचैनी जब बढ़ जायेगी और याद किसी की आयेगी
तुम मेरी गज़लें गाओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा

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