October 3, 2009

कुछ चुनिन्दा मिसरे

आप के पाओं के नीचे मेरा दिल है,
एक ज़रा आपको ज़हमत तो होगी, पर क्या आप ज़रा हटेंगे?

अल्लाह रे ये नाजुकी, चमेली का एक फूल,
सर पर जो रख दिया तो कमर तक लचक गयी||

उनसे छीके से कोई चीज़ उतरवाई है,
काम का काम है, अंगडाई की अंगडाई है||

क्या नजाकत है कि आरिज़ उनके नीले पड़ गए,
हमने तो बोसे लिए थे ख्वाब में तस्वीर के ||

कमसिनी है तो जिदे भी हैं निराली उनकी,
आज ये जिद है कि हम दर्द-ए-जिगर देखेंगे||

1 comment:

  1. संदीप जी आपकी शायरी का अन्दाज़ तो पसंद आया मगर जो आपने अपनी तस्वीर के नीचे ये लिखा कि मओं जानता हूँ कि सपने पूरे होने के लिये नहीं होते पर फिर भी किसी रोज़---शायद
    ये लिखा पसंद नहीं आया जिन्हें अपने सपने पूरी करने होते हैं उनके इरादों मे शायद लफ्ज़ नहीं होता। शायद हटा कर अगर कहो जरूर तो देखना कितनी ऊर्जा देंगे शायद मे कुछ अधूरापन रह जाता है। बहुत बहुत आशीर्वाद आगे बढो बस

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