कभी-कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है,
जिन बातों को खुद नहीं समझे, औरों को समझाया है,
हमसे पूछो इज्ज़तवालों की इज्ज़त का हाल यहाँ,
हमने भी इस शहर में रहकर थोड़ा नाम कमाया है,
उससे बिछड़े बरसों बीते, लेकिन आज ना जाने क्यूँ?
आँगन में हँसते बच्चों को बेकार धमकाया है,
कोई मिला तो हाथ मिलाया, कहीं गए तो बातें की,
घर से बाहर जब भी निकले, दिन भर बोझ उठाया है.
हमसे पूछो इज्ज़तवालों की इज्ज़त का हाल यहाँ,
ReplyDeleteहमने भी इस शहर में रहकर थोड़ा नाम कमाया है,
भाइ किस किस शेर के बारे मे कहूँ..एक् से एक बेजोड़ है..पूरी गज़ल ही मँजे हुए शायर का कमाल लगती है..बहुत खूबसूरत
wah,
ReplyDeleteउससे बिछड़े बरसों बीते, लेकिन आज ना जाने क्यूँ?
आँगन में हँसते बच्चों को बेकार धमकाया है,
naya khayaal. badhai.