तेरे क़दमों पे सर होगा, कज़ा सर पे खड़ी होगी,
फिर उस सजदे का क्या कहना, अनोखी बंदगी होगी.
फिर उस सजदे का क्या कहना, अनोखी बंदगी होगी.
नसीम-ए-सुबह गुलशन में गुलों से खेलती होगी,
किसी की आखरी हिचकी किसी की दिल्लगी होगी.
किसी की आखरी हिचकी किसी की दिल्लगी होगी.
दिखा दूंगा सर-ए-महफिल, बता दूंगा सर-ए-मेहशिर,
वो मेरे दिल में होंगे और दुनिया देखती होगी.
वो मेरे दिल में होंगे और दुनिया देखती होगी.
मज़ा आ जायेगा मेहशिर में फिर सुनने सुनाने का,
जुबां होगी वहां मेरी, कहानी आपकी होगी.
जुबां होगी वहां मेरी, कहानी आपकी होगी.
तुम्हें दानिस्ता महफिल में जो देखा हो तो मुजरिम,
नज़र आखिर नज़र है, बेइरादा उठ गयी होगी
नज़र आखिर नज़र है, बेइरादा उठ गयी होगी
nazar aakhira nazara hai kaa javaaba nahee
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