October 16, 2009

सिर्फ इशार्रों में ही बात ना करना...


दुःख दर्द के मारों से मेरा ज़िक्र ना करना,
घर जाओ तो यारों से मेरा ज़िक्र ना करना

वो ज़ब्त न कर पाएंगे आखों के समंदर,
तुम राह गुज़रों से मेरा ज़िक्र ना करना

फूलों के नशेमन में रहा हूँ मैं सदा से,
देखो कभी खारों से मेरा ज़िक्र न करना

शायद ये अँधेरे ही मुझे राह दिखायेंगे,
अब चाँद सितारों से मेरा ज़िक्र न करना,

वो मेरी कहानी को गलत रंग ना दे दें
अफसाना निग्रानो से मेरा ज़िक्र न करना,

शायद वो मेरे हाल पे बेशक रो दें,
इस बार बहारों से मेरा ज़िक्र ना करना

ले जायेंगे गहराई में तुम को भी बहा कर,
दरिया के किनारों से मेरा ज़िक्र न करना

वो "एक" शख्स मिले तो उससे हर बात करना
सिर्फ इशार्रों में ही बात ना करना...

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