September 16, 2009

वो ख़त के पुर्जे उड़ा रहा था,

वो ख़त के पुर्जे उड़ा रहा था,
हवाओं का रुख दिखा था,

कुछ और ही हो गया नुमायाँ,
मैं अपना लिखा मिटा रहा था,

उसी का ईमां बदल गया है,
कभी जो मेरा खुदा रहा था,

वो एक दिन एक अजनबी को,
मेरी कहानी सुना रहा था,

वो उम्र कम कर रहा था मेरी,
मैं साल अपने बढ़ा रहा था. 

2 comments:

  1. Sandy........... yeh line wo meri umr kam kar raha tha....... main apne saal badha raha tha....... ne dil chhoo liya........

    thnx for sharing.......

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