September 3, 2009

खवाब देता हूँ मैं

कभी महसूस करो मुझे,
मेरे साथ बैठो, के बातें करो,
खवाब जिंदा हो उठेंगे,
क्यों कि खवाब देता हूँ मैं,
शाम कि दहलीज से निकल कर,
रात के सिरहाने से गुजरता हुआ,
तुम्हारी हसीन आखों का गुलाम,
तुम्हारी पलकों में रहता हूँ,
महसूस करो मुझे भी कभी,
क्यों कि खवाब देता हूँ मैं,
यादों की उंगली पकड़ कर,
पलको की तामीर से फिसल कर,
होटों पे मुस्कान बनकर,
हमेशा, तुम्हे खुश रखता हूँ मैं,
महसूस करो मुझे भी कभी,
क्यों कि खवाब देता हूँ मैं,
मैं वही हूँ, जिसे किसी दुआ में माँगा था तुमने,
मैं वही हूँ, जिसे खुदा ने तुम्हे बक्शा है,
बचपन की नामुराद चाहत का नतीजा हूँ मैं,
बचपन से तुम्हारे साथ रहता हूँ मैं,
अब तो महसूस करो मुझे भी कभी,
कि खवाब देता हूँ मैं,

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