इस बार कुछ ऐसा मैं चाहता हूँ
तुम को अपना बनाना चाहता हूँ
भुला के अपने सारे गम,
तुझे दिल से अपनाना चाहता हूँ
तुम्हे तुम्हारी इजाज़त से
अपने दिल में बसाना चाहता हूँ
अपने नाम के साथ जोड़ कर तुम्हारा नाम
दुनिया को सर-ए-आम दिखाना चाहता हूँ
कहीं कबुलियत की घड़ी ना आ जाये
तुम्हे हर दुआ में मांगना चाहता हूँ
हो जाओ तुम मेरी और मैं तुम्हारा
हर पल हब ये ही अहसास चाहता हूँ,
तुम से ही बस मोहब्बत की है मैंने,
अपनी सारी जिन्दगी तुम्हारे संग बिताना चाहता हूँ,
हक से कहता हूँ तुम्हे मैं अपना,
बस तुमसे भी ये कहलाना चाहता हूँ,
अपनी हाथो की लकीरों में बसना चाहता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,