चोट खाये हुये मेरे ज़ज़्बात आज संवर जाये तो अच्छा है,
कसमों और वादों में बिखरी हुई है ज़िंदगी मेरी,
यहीं कसमों वादो को निभाया जाये तो अच्छा है,
दुनिया के दिये जख्मों से जी भर गय है दोस्तों,
अब कोई और ही वार किया जाये तो अच्छा है.
ये जहर का घूंट तो हमने पी लिया,
अब तो दर्द-ए-दिल ही दिया जाये तो अच्छा है.
::शेफ़ाली शर्मा द्वारा प्रस्तुत::
Nice, I'm Touched.
ReplyDelete