January 31, 2012

खाक में जो मिल जाये वो मोहब्बत नही है...

खाक में जो मिल जाये वो मोहब्बत नही है,
वो इन्सान ही क्या जिसमें इन्सानियत नही है,
तुम्हारी किस्मत तो देखो कैसी है,
वो जला डाला है तुमने वो मेरा नशेमन नही है,

जिस रास्ते पर चल पड़े हो,
ठहर जाओ वहीं पर,
पांव रखा है जहां तुमने वो मेरी राह नही है,


::शेफ़ाली शर्मा के सहयोग से::

2 comments:

  1. waah waah! bhai rakesh. ghar bada sundar lag rha hai.... beta "Shaifali Sharma" side hona zaraa...

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  2. avinash ji, ye rakesh kaun hai? Aur kaunse ghar ki taareef kar rahe hain aap?

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